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Thursday 18 February 2010

लोकतंत्र पर मोदी की मार

रोज की तरह अखबार पड़ते हुए मेरी नजर एक लेख पर गई. यह लेख नरेन्द्र मोदी द्वारा गुजरात के स्थाई निकाय चुनावों में अनिवार्य मतदान करने के सन्दर्भ में था. जिसमे भारतीय विदेश नीति परिषद् के अध्यछ डाक्टर वेदप्रकाश वैदिक ने लिखा था की वोट देने के लिए बाध्य करने का वास्तविक उदेश्य है वोट देने के लिए प्रेरित करना. वेद जी के इन वाक्यों में मैं आपका ध्यान दो शब्दों पर ले जाना चाहता हू पहला बाध्य और दूसरा प्रेरित करना. ये दोनों शब्द एक दुसरे के विरोधाभासी है. किसी को बाध्य करके प्रेरित करना एक लोकतान्त्रिक व्यवस्था के अंतर्गत नहीं आती बल्की इसमें फासीवादी की बू आती है .चुनाव आयुग की चुप्पी ने भी इसे हरी झंडी दे दी है. नरेन्द्र मोदी जैसे हिटलरशाही अंदाज रखने वाले मुख्यमंत्री का इस तरह की व्यवस्था को लागु करना एवं  देश के लोगों का इस तरह का ढुलमुल रवैया किसी लोकतान्त्रिक देश की नीव में दीमक लगने के समान है जो एक दीन इस व्यवस्था को धराशायी कर देगी .
शायद नरेन्द्र मोदी संविदान एवं लोकतान्त्रिक व्यवथा पर विस्वास नहीं करते इसीलिए उन्होंने  अपने राज्य के लोगों को जागरूक करने की बजाय उनपर हिटलरराना  फरमान जारी कर दिया . क्या किसी लोकतान्त्रिक देश में इस तरह की बद्यता के लिए कोई जगह होनी चाहिए?
सभी के लिए समानता एवम स्वतंत्रता के लिए संग्घर्ष करने वाले राष्ट्रपिता की जन्मस्थली पर इस प्रकार का बाध्यकारी कानून संविधान की  अवहेलना करना वाला है . मोदी सरकार की मुस्लिम विरोधी नीतियों , गुजरात दंगे और इस तरह के फरमान को देख कर लगता है की मोदी गुजरात में एकछत्र राज चाहते है . और शायद भविष्य में ऐसा भी हो सकता है की गुजरात से अलगाववादी की आग उठने लगे और एक अलग देश की मांग हो.

Saturday 13 February 2010

मोहब्बत की इबादत

14 फ़रवरी के दिन को प्यार करने वाले एक त्यौहार की तरह मनाते है. एक ऐसा त्यौहार जो किसी जात या धर्म का नहीं बल्की उन युवाओं का है जो जात मजहब के हवाले से उपर उठकर सिर्फ प्रेम को प्राथमिकता देते है. ये पन्तिया सिर्फ उन युवाओ के लिए है जो मोहब्बत  को ही इबादत मानते है............

अरे तड़प के मरने वाले दीवानों
फकत जीने का इल्जान न लो
जीयो तो ऐसे जीयो की दूसरो को जीने का ढंग बतला दो
क्योकि खुदा की खुदाई से मिलती है मोहब्बत
इस जिन्दगी को मोहब्बत पर वार दो
झूठ साबित कर दो मोहब्बत के शेरो को
दीवानगी को भी कामयाब कर दो
एक बार भीर बता दो हीर रांझे की दास्ता
मोहब्बत को फिर से पाक कर दो