Saturday 21 November 2009
जज्बातों का कारवा
Saturday 22 August 2009
जिन्ना की जयकार, संग में हाहाकार
'जिन्ना: भारत विभाजन के आईने में' , जसवंत सिंह द्वारा लिखी गई किताब ने संघ की भ्रमित विचारधारा को जनता के सामने लाकर हंगामा बरपा दिया है । कभी लाल कृष्ण आडवानी पकिस्तान में जाकर जिन्ना की जयकार करते है तो कभी जसवंत सिंह किताब लिखकर जिन्ना को नायक और नेहरू , पटेल को खलनायक की पदवी देते है , लेकिन ये इस बात को भूल जाते है की ये जिस विचारधारा के ईटो से संघ की नीव पड़ी है , जिन्ना के जयकार से वो ईट उखड जायेगी । आडवानी जी भाजपा के वरिस्ट नेता होने के कारण एसा बयान देने पर बच निकले लेकिन जसवंत सिंह जो पार्टी के हनुमान कहे जाते है जिन्ना रूपी सागर को नही लाँघ पाए और उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया .जसवंत सिंह ने यह किताब क्या सोच कर लिखा यह समझ से परे है , क्योके आडवानी का उदाहरण उनके सामने था।यह जसवंत सिंह का पार्टी प्रेम था या यक्तिगत सोच। किताब में नेहरू , पटेल समेत कांग्रेस पार्टी के नेताओ को विभाजन में खलनायक की भूमिका में दिखाया गया है और शायद यह आज के कांग्रेश पार्टी पर निशाना हो। ऐसा है तो यह पार्टी प्रेम ही है और अगर यह जसवंत सिंह के यक्तिगत सोच है तो उन्हें पार्टी से अलग हो जाना चाहिये। खैर अब जसवंत सिंह संघ से यही पूछेंगे की.......................
हंगामा है क्यो बरपा , थोडी सी जो लिख दी है
हाय रे……अह्हले वतन
महात्मा गांधी, भगत सिंह , राज गुरु , सुखदेव, आजाद , चाचा नेहरू …. न जाने कितने ही स्वतंत्रता सेनानियों ने इस दिन के लिए अपने प्राणों की बलि दे दी . इस दिन आजाद भारत की इक तस्वीर दुनिया के सामने रखी गई । 15 अगस्त 2009 , आज के दिन के मायने लोगो के लिए बदल चुके है . सरकारी कर्मचारियों के लिए छुट्टी का दिन , नीजी कंपनियों के लिए एक पार्टी मनाने का अवसर , बाज़ार में ख़राब हो गई वस्तुओ को सस्ते दामो में निपटाने का दिन , नेताओं के लिए समाचार पत्रों में हार्दिक बधाई देने का दिन ,कुछ देश भक्ति गाने बजाने का दिन , स्कूली बच्चो को घूमने का दिन ……….. कितनी अलग सोच थी स्वतंत्रता सेनानियों की हमसे, हम फायदे की सोचते है तो स्वतंत्रता सेनानी कायदे की सोचते थे . फिर कैसे हम उनकी सोच को, उनके देखे हुए सपने को आगे ले जायेगे……ले जायेगे जैसे सब हो रहा है ये भी होगा . आख़िर 15 अगस्त के दिन देश भक्ति गाने बजाने वाले, बन्दे मातरम का नारा देने वाले, जय हो का नारा देने वाले ये तो सोचेगे ही। अपने अहले वतन के लिय ऐ ………….