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Saturday 21 November 2009

जज्बातों का कारवा

ये पन्त्तिया अपने दोस्तों  के साथ 
कुछ के सपने मिले
कुछ के दिल मिल गए
ऐसे ही हम मिलते गए
बन गया एक कारवा
ऐसा है
एक कारवा मेरा भी
              इस कारवा की है अपनी बात
              विस्वाश  की बुनियाद , प्यार की फुहार
              आपसी जज्बातों से जुढ़ा है ये कारवा
              ऐसा है
              एक कारवा मेरा भी
इस  कारवा का है अपना अंदाज
जिसमे देता है हर कोई एक दूजे का साथ
जिधर से गुजरता है ये कारवा
कहते है लोग
ऐसा नहीं कोई कारवा, जैसा है
एक कारवा मेरा भी    
            देते रहे सबका साथ
            पकडे रहे  इक दूजे का हाथ
            कटने  लगी जिन्दगी मौजो में
            जिन्दगी ने हमने कहा
            ऐसा नहीं कोई कारवा, जैसा है
            एक कारवा मेरा भी
जब जिन्दगी हमसे होती है खफा
तब रहती है एक दूजी की दुआ
निकल आते है जिन्दगी के तलातुम से
है दोस्तों में वो बात , जिससे बना ये करवा
जैसा है
एक कारवा मेरा भी  

3 comments:

संगीता पुरी said...

इस नए ब्‍लॉग के साथ नए वर्ष में हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. अच्‍छा लिखते हैं आप .. आपके और आपके परिवार वालों के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!

VIKAS KUMAR said...

aap ko bhi naye varsh ki hardik badhi. comment ke liye dhanyawad.

Anonymous said...

bhai mere liye bhi kuch likho.sameer