आज मै अपनी एक
पहचान चाहता हू ,
आज मै किसी मजहब का
किरदार चाहता हू ।
मुझे डर है की जात पात के
इस दंगे में मै कही खो न जाऊ,
आज सिर्फ़ नाम से
कोंन किसको जनता है
आज धर्म के पीछे ही
पूरा विश्व भागता है।
हिंदू -मुस्लिम के दंगे में
सिख होने पर बच जाऊँगा,
सिख ईसाई के दंगे में
मुस्लिम होने पर बच जाऊंगा,
लेकिन बना रहा मै इंसान
तो हर दंगे में मै ही मारा जाऊंगा।
आज किस्से करू मै
अहले वतन की बाते ,
सब करते है सिर्फ़
अपने मजहब की बाते।
किसको सुनाऊ मै
प्रेम शौहार्द की बाते,
सब देते है सिर्फ़
मजहबी दंगे की शौगाते।