वे मिट्टी में दब कर उग आते हैं
मुबारक के खिलाफ भड़की बगावत की अगुवाई करने के इरादे से वतन लौटे अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजंसी के पूर्व अध्यक्ष और शांति नोबेल सम्मान से विभूषित मोहम्मद अल बरदेई को नजरबंद कर दिया गया है। मिस्र में भड़का यह जनाक्रोष इस्लामी विद्रोह नहीं है बल्कि महंगाई, बेरोजगारी, निरक्षरता, अमीरी-गरीबी के बीच की बढ़ती खाई और तानाशाही शासन के खिलाफ बेबस जनता की मुखर आवाज है। 1981 से राष्ट्रपित हुस्नी मुबारक का राज है। वैश्विक वित्तीय संकट के कारण देश में पर्यटन उद्योग, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और स्वेज नहर से होने वाली आय में गिरावट आयी है। लोग काफी संख्या में शिक्षित है लेकिन रोजगार के साधन का अभाव है। मिस्र में 2008 से 2010 तक बेरोजगारी दर 9 से 9.4 फीसदी के बीच है जबकि 2007 में यह 10.30 फीसदी रही थी। 2008 से 2010 तक महंगाई दर 12 से 19 फीसदी के बीच रही। 








